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Reet गणित शिक्षण विधियाँ Teaching method pdf in hindi

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आधुनिक युग में सभ्यता का आधार गणित ही है। मातृ भाषा के अतिरिक्त ऐसा कोई विषय नहीं है जो दैनिक जीवन में इतना अधिक संबंधित हो।math free notes pdf teaching method test series 

गणित को व्यापार का प्राण तथा विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है।

वर्तमान समय में गणित को विद्यालयी पाठ्यक्रम में विशेष स्थान दिया गया है क्योंकि गणित बालक को अपनी जीविका कमाने के योग्य बनाने के साथ ही उसके ज्ञान में वृद्धि करता है।

1. बौद्धिक मूल्य( गणित शिक्षण विधियाँ )


बौद्धिक विकास के लिये गणितीय शिक्षण का अत्यधिक महत्व है।

a गणित की प्रत्येक समस्या को हल करने के लिये मानसिक कार्य की आवश्कयता होती है। जैसे ही गणित की कोई समस्या बच्चे के समक्ष आती है उसका मस्तिष्क उस समस्या को समझने तथा उसका समाधान करने के लिये क्रियाशील हो जाता है। गणित की प्रत्येक समस्या एक ऐसे क्रम से गुजरती है जो कि एक रचनात्मक एवं सृजनात्मक प्रक्रिया के लिये आवश्यक है इस प्रकार बच्चे की सम्पूर्ण मानसिक शक्तियों का विकास

गणित पढ़ने से सरलता से हो जाता है।

प्लेटो ने स्पष्ट किया है कि "गणित एक ऐसा विषय है जो मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है। एक सुषुप्त आत्मा में चेतना एवं नवीन जागृति उत्पन्न करने का कौशल गणित ही प्रदान कर सकता है।"

2. व्यावहारिक मूल्य


आज संसार प्रत्येक वस्तु की उन्नति को चाहे वह भौतिक, सामाजिक, आत्मिक हो अथवा मानसिक, उसे मापना चाहता है। घर का बजट बनाते समय, आय और मजदूरी निकालते समय, वस्तुओं को तौलते समय, घड़ी में समय देखते हुये, गाड़ी चढ़ते समय, दफ्तर अथवा स्कूल जाते समय, लिफाफे पर टिकट लगाते समय, तारघर में तार देते समय, दूध उबालते समय, थर्मामीटर लगाते समय, दौड़ करवाते समय, परीक्षाओं में परचे बाँटते समय, समय का मुख्य ध्यान रखने की बहुत आवश्यकता प्रतीत होती है। जीवन का कोई पक्ष ऐसा नहीं, जिसमें गणित की आवश्यकता नहीं है। वेतन का बिल बनाते समय, मकान बनाते समय, नाप-तौल आदि के पूर्ण ज्ञान की आवश्यकता होती है।

3. Sanskritik मूल्य


समाज की संस्कृति और सभ्यता के निर्माण एंव विकास में गणित ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गणित के अध्ययन से व्यक्ति को समानता, समरूपता, क्रमबद्धता, नियमितता आदि महत्वपूर्ण सामाजिक मूल्यों का बोध होता है। जिनके द्वारा वह प्रकृति में पाये जाने वाले सौन्दर्य की अनुभूति कर सकता है। नृत्य, चित्रकला, हस्तकला, आदि का विकास गणित के ज्ञान द्वारा ही सम्भव हुआ है।

4. अनुशासनात्मक मूल्य


विद्यालयों में गणित इसलिये पढ़ायी जाती है कि छात्रों को विभिन्न मानसिक शक्तियों, जैसे-नियमितता, परिशुद्धता, मौलिकता, आत्मनिर्भरता, क्रमबद्धता, सभ्यता और ईमानदारी, एकाग्रता, कल्पना, आत्मविश्वास, शीघ्र समझने की शक्ति, स्मृति आदि का प्रशिक्षण मिल सके जिससे उनका मस्तिष्क अनुशासित हो जाये। इसके अन्तर्गत मनोविज्ञान के शिक्षा का स्थानान्तरण के सिद्धान्त का उपयोग करते हैं।
Math Reet importance teaching method question:-
गणित के विषय को पाठ्यक्रम में उचित स्थान न दिया जाए
तो इससे प्रभाव पड़ेगा

(1) बच्चों को मानसिक प्रशिक्षण के अवसर कम मिलेंगे।
 (2) नियमित तथा क्रमबद्ध रुप से ज्ञान ग्रहण करने की आदत विकसित नहीं होगी।
 (3) बच्चों का तार्किक दृष्टिकोण विकसित नहीं होगा
(4) उपरोक्त सभी

Ans-(4)

10. निम्नलिखित में से किसने गणित के महत्व को नकारते हुए कहा है कि 'गणित का अत्यधिक शिक्षण मस्तिष्क के लिए हानिकारक है

(1) यंग ने

(2) कान्ट ने

(3) विलियम हैमिन्टन ने 
(4) हक्सले ने               ans (3)
गणित सभ्यता का प्रतिबिंब है।' यह कथन है-

(1) आर्यभट्ट का 
(2) यंग का
(3) होगबेन का
(4) रामानुज का          ans- (3 )

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