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समतल , वक्रतल और ठोस ज्यामितीय आकृतियाँ: reet math

समतल , वक्रतल और ठोस ज्यामितीय आकृतियाँ  math geomatry teaching exam 

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 समतल: सीधा व सपाट तल समतल कहलाता है। जैसे क्या खेल का मैदान आदि। वक्रतल: टेढ़ा-मेढ़ा, गोलाकार आदि तल वक्रतल कहलाते

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समतलीय आकृतियाँ (Plane Figures ): जिन आकृतियों का जल सभी जगह सीधा एवं सपाट हो, उन्हें समतलीय आकृतियाँ कहते हैं, जैसे कागज, पुस्तक, कॉपी, पीपा, लेट पोस्टकार्ड, दरीपट्टी, रुमाल, कैरमबोर्ड, पतंग सिक्का, रोट, लकड़ी की प्लाई, फर्श आदि।


समतलीय आकृतियों की विशेषताएं:(L.इनका तल सीधा एवं सपाट होता है। 2. समतलीय आकृति सामान्यतः द्विविमीय होती है। विभुजाकार, वर्गाकार, वृत्ताकार, अंडाकार या आयताकार आकृतियाँ समतलीय आकृतियों के प्रकार हैं। । समतलीय आकृतियाँ सममित व असममित हो सकती हैं।


वकतलीय आकृतियाँ (Curved figures): जिन मीय आकृतियों का तल सीधा व समतल न हो गोलाई लिए हो या टेड़ा-मेढ़ा हो, उन्हें वक्रतलीय य आकृतियाँ कहते हैं। जैसे- खरबूजा, मटका,चारा, फल व सब्जियाँ, वाहनों के टायर, यूब, बालन आदि। तालों ( समतल एवं वक्रतल ) वाली आकृतियाँ: तियों (या वस्तुओं ) का एकाधिक तल समतल बाकी तल वक्र रेखीय हों उन्हें दोनों तलों वाली कहते हैं। जैसे- थाली, गिलास, बोतल, ढोलक, ड्रम, पेन, पेंन्सिल आदि दोनों तल वाली वस्तुएं हैं।


सममित आकृतियाँ (Symmetrical figures): à आकृतियाँ जिन्हें दो समान भागों में बाँटा जाए तो वे दोनों भाग लम्बाई, चौड़ाई, आकार सभी में पूर्णतः एक समा हो एवं उन्हें एक-दूसरे पर रखा जाए तो दोनों एक-दूस को पूरी तरह ढंक लें। आयताकार, वर्गाकार एवं वृत्ताका आकृतियाँ सदैव सममित होती हैं।


बिन्दु (Point): एक सूक्ष्म ज्यामितीय आकृति, जिसक कोई माप नहीं होता, बल्कि जो केवल स्थान का निर्धार काता है, विन्दु कहलाता है। बिन्दु एक छोटी सी बिन्दी (.) संकेत मात्र है जिसकी कोई माप या आकार, लम्बाई चौड़ाई नहीं होती। जैसे वृत्त का केन्द्र बिन्दु उदाहरण परकार (Compass) की नोक, सूई की नोक, दशमलव चिह्न आदि। बिन्दु को वर्णमाला के किसी एक अक्षर द्वारा व्यक्त किया जाता है। जैसे- अ, ब, स, A, B, C आदि बिन्दु केवल स्थान को दर्शाते हैं।


रेखाखण्ड (Line segment A B):दो बिन्दुओं A एवं B को मिलाने पर बनी सीधी आकृति को रेखाखण्ड कहते हैं। इसे रेखाखण्ड A8 पढ़ते हैं। बिन्दु A एवं B रेखाखण्ड के सिरे या अंतिम बिन्दु हैं। रेखाखण्ड की लम्बाई नापी जा सकती है, चौड़ाई नहीं। यह रेखा का एक भाग होता है।


किरण (Ray): रेखाखण्ड को किसी एक ओर असीमित लम्बाई तक बढ़ाने पर बनी आकृति को 'किरण' । ->) कहते हैं। यदि रेखा एक तरफ बिन्दु A पर सीमित हो तथा दूसरी तरफ बिन्दु B की ओर अनन्त तक बढ़ी हो तो इसे किरण ( ) से व्यक्त किया जाता है। उदाहरण सूर्य की किरण, टॉर्च की रोशनी आदि।


रेखा (Line: B); किसी रेखाखण्ड को दोनों सिरों की ओर असीमित लम्बाई तक बढ़ाने से बनी आकृति को 'रेखा' कहते हैं। रेखा या किरण की लम्बाई मापना. संभव नहीं है। रेखा की अनन्तता को प्रदर्शित करने हेतु इसके दोनों ओर का निशान लगाते हैं। एक रेखा कम । से कम दो बिन्दुओं से होकर गुजरती है। परन्तु इन दो बिन्दुओं से केवल एक ही सरल रेखा गुजर सकती है अधिक नहीं। एक रेखा पर अनन्त बिन्दु हो सकते हैं। सीधी रेखा स्केल व पेंसिल की सहायता से खींची जाती है। सरल एवं वक्र रेखा: सीधी रेखा को सरल रेखा एवं टेडी मेडी रेखा को वक्र रेखा कहते है।


कोण (Angle): किसी एक ही बिंदु से प्रारंभ होने वाली दो किरणों से बनी आकृति को कोण कहते हैं। कोई भी दो किरणें जिनका प्रारम्भिक बिन्दु एक हो हो, एक कोण बनाती है।


कोणों का वर्गीकरण (Classification of angles) :

 (1) कोण 8 >90" = तो 0 अधिक कोण है

(2) यदि कोण <90° तो 0 न्यूनकोण है

(3)कोण 90०  = 180° = तो 0 सरल कोण है 

(4) कोण 18० = 90° = तो समकोण है

(5)कोण  180° <0-360° = तो वृहत्कोण है।

 • समकोण (Right Angle): दो किरणों के एक-दूसरे पर सीधी (लम्बवत्) खड़ी होने पर बनने वाले कोण को समकोण कहते हैं। यह हमेशा 90° का कोण होता है। अत: 90° के कोण को समकोण कहते हैं।


न्यूनकोण (AcuteAngle): जिस कोण का माप 90° (एक समकोण) से कम है उसे न्यूनकोण कहते हैं।


• अधिक कोण (Obtuse Angle): जिस कोण का माप 90° (एक समकोण) से अधिक हो एवं 180° (सरल कोण या दो समकोण) से कम हो उसे अधिक कोण . कहते हैं। अत: एक समकोण से बड़े एवं दो समकोण से छोटे कोण को अधिक कोण कहते हैं। 1 यका


• सरल या ऋजु कोण (Straight Angle): एक ही बिंदु से विपरीत दिशा में निकलने वाली दो किरणों से बनी आकृति को सरल कोण कहते हैं। सरल कोण दो समकोण के बराबर होता है इसका माप 180 होता है। अतः संक्षेप में 180° के कोण को सरल कोण कहते हैं।


वृहत् या प्रतिवर्ती कोण (Reflex Angle): दो समकोण (या एक सरल कोण) से बड़े कोण को बृहत् कोण कहते हैं। इसका माप 1800 से अधिक परंतु 360° (चार समकोण या दो सरल कोण) से कम होता है।


• संपूर्ण कोण (Complete Angles): दो ऋजु (सरल) कोण या चार समकोण के बराबर के कोण को संपूर्ण कोण कहते हैं। यह 360° का होता है। इससे बड़ा कोण नहीं बन सकता है। एक घड़ी की सूई घड़ी के डायल का एक पूरा चक्कर लगाने पर एक संपूर्ण कोण बनाती है। इसी प्रकार हम एक दिशा से दायें या बाएँ पूरा घूमकर पुनः उसी दिशा में आ जाए तो हम 360° घूम जाते है।


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