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भारत की नदियां ,indian rivers

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1- हिमालय तथा हिमालय पार से निकलने वाली नदियों को तीन नदी तंत्रों में बांटा जाता हैं

1 सिंधु नदी तंत्र
2 गंगा नदी तंत्र
3 ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र



1 सिंधु नदी तंत्र sindhu nadi

सिंधु  नदी भारत के सबसे महत्वपूर्ण अपवाह तंत्रों में से एक है
 इस नदी की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है सिंधु नदी भारत में 709 किलोमीटर बहती है
 इस नदी का जल ग्रहण क्षेत्र लगभग 1165000 वर्ग किलोमीटर है
बिजली का भारत में जल ग्रहण क्षेत्र लगभग 321284 वर्ग किलोमीटर है
 यू रेडी भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पश्चिम नदी तंत्र में से एक है
इन की सहायक नदियों में जेलम, चिनाब, रावी ,व्यास तथा सतलज शामिल है
सिंधु नदी सबसे ज्यादा जल कराकोरम पर्वत के हिमनदो से बहा कर लाती है

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सिंधु नदी का उद्गम स्थल बोखर चू ग्लेशियर से होता है
 यह क्या पर्वत के उतरी ढलान पर स्थित है सिंधु नदी के उद्गम का स्रोत 6714 मीटर ऊंचा है
 सिंधु नदी लद्दाख एवं जास्कर के बीच यह लगभग एक सीधी रेखा में बहती है है

जास्कर श्रेणी के समानांतर लगभग 480 किलोमीटर तक सिंधु नदी
 लगभग 3200 मीटर की ऊंचाई पर बहती है हिमालय में हिमनद तापमान के कारण तेजी से पिघल रहे जिससे नदियों में आने वाला पानी बहुत तेजी से बढ़ रहा है

जलवायु के गर्म होने के साथ हिमालय की हिमनद से सिंधु नदी में प्रवाहित होने वाला
 जल प्रवाह कम से कम 2050 तक बढ़ेगा। सिंधु नदी एक अंतरराष्ट्रीय नदी है जो कि चीन भारत और पाकिस्तान होकर बहती है

2 झेलम नदी jhelam nadi

झेलम नदी को वितस्ता नदी भी कहते हैं
 इसका उद्गम स्थल बेरीनाग जल स्रोत  है जो कि कश्मीर की घाटी में दक्षिण पूर्व दिर्घ हिमालय के निचले ढलानों में स्थित है
यदि उत्तर पश्चिम की दिशा में बहती हुई श्रीनगर के बीच में बहकर बारामुला की ओर हुई वूलर झील में प्रवेश करते हुए एक गार्ज से गुजरकर मुजफ्फरनगर की ओर बहती है

3 चिनाब नदी chinab nadi

चिनाब नदी को अशकिनी नदी भी कहा जाता है
जिसका उद्गम स्थल मान्य प्रदेश के bara-lacha दर्रा है इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 4843 मीटर है वैसे इसकी 2 भुजाएं हिमालय प्रदेश में है जिनको चंद्रा व भागा के नाम से जाना जाता है
चिनाब नदी की भारत में लंबाई लगभग 1180 किलोमीटर है इसका जल अपवाह क्षेत्र फल 26755 किलोमीटर है चंद्रा नदी का उद्गम स्थल एक हिमनद है

 जबकि भागा नदी का उद्गम एक खड़े ढलान के चश्मे से होता है
 चंद्रा व भागा नदी का संगम स्थल तांडी है
 संगम बनाने के पश्चात
चिनाब नदी पीरपंजाल तथा दीर्घ हिमालय के बीच बहती
हुई कि किश्तवाड़ टाउन के पास एक तीव्र मोड़ बनाती हुई
 रियासी नगर से बहते हुए पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है
चिनाब नदी पर महत्वपूर्ण जल परियोजनाएं बनाई गई है

 सलाल दुल्हस्ती और बगलियार जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं है
 इनमें से बगलीयार जल परियोजना  से उत्पन्न होने वाली बिजली जम्मू कश्मी
र के विभिन्न नगरों को सप्लाई की जाती है यह भी भारत की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है

4 रावी नदी  ravi nadi

   रावी नदी को पुरूषणी या इरावती नदी भी कहा जाता है
 रावी नदी का उद्गम  कुल्लू के पास स्थित रोहतांग दर्रे से होता है
रावी नदी का उद्गम व्यास नदी के उद्गम के नजदीक पड़ता है
 भारत में रावी नदी की लंबाई 725 किलोमीटर है
 इस नदी का जल अपवाह क्षेत्र 5957 वर्ग किलोमीटर है यह नदी अपना जल रावी नदी पीर पंजाल के पश्चिम तथा ढोलाधर  श्रेणी की उत्तरी ढलानों पर आपवाहित करती है
चंबा टाउन के पास से इसकी दिशा दक्षिण की ओर मुड़ जाती है
 और धौलाधार पर्वत में एक गहरे गार्ज से गुजरकर पंजाब के मैदान में प्रवेश कर जाती है
यह नदी गुरदासपुर और अमृतसर में पाकिस्तान भारत की सीमा बनाती हुई लाहौर पाकिस्तान की और प्रस्थान कर जाती है


5 व्यास नदी  vayas nadi

व्यास नदी को बिपाशा अथवा अर्गीकिया नदी भी कहते हैं
 यह नदी दक्षिण की ओर बहती है जो हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर स्थित व्यास कुंड से निकल कर आती है व्यास कुंड की ऊंचाई समुद्र स्तर से लगभग 4000 मीटर है दक्षिण की ओर धौलाधार पर्वत श्रेणी में एक गार्ज बनाती हुई व्यास नदी कुल्लू एवं मनाली शहरों से होकर बहती है. 

 इसके बाद दक्षिण में कांगड़ा घाटी से निकलकर पंजाब के मैदान में प्रवेश कर जाती है
 पंजाब में कपूरथला एवं अमृतसर में बहती हुई हरिके स्थान पर सतलज नदी में मिल जाती है
 इस नदी की कुल लंबाई लगभग 765 किलोमीटर है।

6 सतलज नदी   satlag nadi

सतलज नदी सत्ताद्रू अथवा सतुद्री के नाम  से भी जानी जाती है
इस नदी का उद्गम आकाश जी से होता है जो कि तिब्बत में कैलाश पर्वत के दक्षिण में स्थित है
 यह एक पूर्ववर्ती नदी भी कहलाती है जिसकी आयु हिमालया पर्वत से भी अधिक है
तिब्बत में यह नदी लांगेचेन खंबाब नाम से जानी जाती है
 यह नदी शिपकी ला दर्रे से गुजरकर हिमाचल प्रदेश भारत में प्रवेश करती है
इस दर्रे से यह नदी पश्चिम की ओर बहती हुई कल्पा को पार करके रामपुर नगर के निकट धौलाधार श्रेणी को एक संकीर्ण घाटी से गुजरकर पार करती है
इस नदी पर भारत की बहुत ही महत्वपूर्ण बहुउद्देशीय परियोजना भाखड़ा बांध का निर्माण किया गया है जो भाखड़ा गांव में स्थित है. 

 भाखड़ा बांध की पश्चात सतलज नदी रोपड़ ( रूपनगर) से बहकर पंजाब के मैदान में प्रवेश कर जाती है
 सतलज नदी की भारत में सतलज नदी की लंबाई 1050 किलोमीटर है इसका अपवाह क्षेत्र 28090 वर्ग किलोमीटर है

7 घग्गर या सरस्वती नदी sarsvati nadi

घग्गर नदी भारत की प्राचीन नदियों में से है घग्ग र नदी एक अंत:स्थलीय अपवाह है
 जो अंबाला के निकट सिरमोर स्थान की शिवालिक ढलानों से निकलती है
 यह नदी शिवालिक से दक्षिण की ओर बहती हुई लुप्त सी हो जाती है लेकिन कुरुक्षेत्र तथा करनाल जैसे जिला में इसका जलमार्ग फिर से दिखाई देने लगता है
इसके बाद इस नदी को हरका के नाम से भी जाना जाता है
यह नदी बीकानेर के निकट हनुमानगढ़ में लुप्त हो जाती है
 नदी के इस हिस्से में इसका जलमार्ग 5 से 8 किलोमीटर चौड़ा हो जाता है
जोकि इस बात का प्रमाण भी है कि वैदिक काल में सतलज नदी विरार खा के रास्ते से होकर गुजरा करती थी वैदिक काल में इसी नदी को सरस्वती नदी कहा जाता था।
 सामान्य सरस्वती नदी लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है।  

 इस नदी के निशान पाकिस्तान के सिंध राज्य के नारा सत्र में भी पाए जाते हैं
 यह  क्षेत्र कच्छ के रण के निकट है। इस नदी की एक भुजा कच्छ के रण में जाकर मिल जाती है
 वर्तमान में यह एक मरुस्थलीय सत्र हैइस नदी के जल मार्ग पर शोध कार्य भी चल रहा है
 क्योंकि आज भी वर्षा ऋतु में घग्गर के पुराने जलमार्ग में पानी भर जाता है
 

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